लखीसराय जिले के बड़हिया ग्राम में अवस्थित है- माता का भव्य मंदिर
प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को लगता है भक्तों का मेला ।।
बड़हिया: कश्मीर की माँ वैष्णो देवी के संस्थापक भक्त शिरोमणि श्रीधर ओझा द्वारा अपने पैतृक ग्राम बड़हिया में जनकल्याण के लिए स्थापित सिद्ध मंगलापीठ माँ बाला त्रिपुरसुन्दरी का मंदिर आज भी लोक आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यू तो प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु माता के मंदिर में अपना मत्था टेककर मन की मुरादें प्राप्त करते हैं। मगर प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है।
वैष्णो मंदिर के संस्थापक भक्त श्रीधर ओझा ने की थी मंदिर की स्थापना-
बड़हिया ग्राम की स्थापना हजारों वर्ष पहले पालवंश के काल में हुआ माना जाता है। पंडित ओझा बड़हिया के ही मूल निवासी थे। हिमालय की कंदरा में तपस्या करने के क्रम में माँ वैष्णो देवी की स्थापना के बाद उन्होने बड़हिया में माँ जगदम्बा को स्थापित किया था। जनश्रुति के अनुसार माँ वैष्णो देवी की स्थापना के पश्चात भक्त श्रीधर ओझा अपने पैतृक गाँव बड़हिया आये। बड़हिया लौटने के पश्चात पंडित ओझा ने लोक कल्याण हेतु गंगातट पर माँ आदिशक्ति की अराधना शुरू की। एक दिन रात्रि में माँ आदिशक्ति ने स्वप्न में भक्त शिरोमणि को यह आदेश दिया कि ब्रहममुहुर्त में गंगा नदी की धारा में मिट्टी के खप्पर में आदिशक्ति माँ अपने बाला रूप में ज्योति के रूप में बहते हुए आयेंगी। उन्हे जलधार से निकालकर गंगा की मिट्टी का पिंड बनाकर माँ को स्थापित कर दिया जाये। निर्देशानुसार भक्त शिरोमणि श्रीधर ओझा ने ब्रहममुहुर्त में मिट्टी के खप्पर में बह रहे ज्योति को निकालकर गंगा की मिट्टी से गंगातट पर अवस्थित बड़हिया के टीले पर सिद्ध मंगलापीठ माँ बाला त्रिपुर सुन्दरी, माँ महाकाली, माँ महालक्ष्मी और माँ महासरस्वती कुल चार पिंडो की स्थापना की। भक्तजनों की ऐसी मान्यता है कि जब भी जनकल्याण की आवश्यकता होती है। मां अपना आर्शीवाद देने में कोताही नहीं करती है।प्रदेश और देश के कोने कोने से श्रद्धालु बड़हिया आकर माँ से अपनी मनोकामना पूरी करते हैं।
150 फीट उंचा है जगदम्बा मंदिर-
1992 में सफेद संगमरमर पत्थर से लगभग 150 फीट से अधिक ऊँचा देवी मंदिर का निर्माण कराया गया है। करोड़ों की लागत से बने मंदिर पर सोने का कलश स्थापित है। एवं भक्तों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए उनकी सुविधा के लिए करोड़ों की लागत से भव्य धर्मशाला श्रीधर सेवाश्रम का निर्माण कराया गया है।
होती है भक्तों की सभी मुरादें पूरी-
माँ की महिमा अद्धितीय है। कहा जाता है कि जिसने भी सच्चे मन से माँ के दरबार में आकर उनकी अराधना की। माँ ने उसे कभी निराश नहीं किया। सबों को मनचाहा फल जरूर देती है। यही कारण है कि दिन प्रतिदिन माँ के दरबार में भक्तों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है।