मत्स्य (मछली) पालन बड़हिया
मत्स्य (मछली) पालन बड़हिया
मछली एक शक्तिवर्द्धक तथा पौष्टिक खाद्य पदार्थ हैं। यह खाने में स्वादिष्ट और सुपाच्य होती है। मछली में आवश्यक एमीनोएसिड तथा प्रोटीन की अधिक मात्रा पायी जाती है। इसके अतिरिक्त चर्बी, कैल्शियम व खनिज भी पाये जाते हैं जिनके कारण संतुलित आहार में मछली की विशेष उपयोगिता है। ऐसे कई उदाहरण उपलब्ध हैं जिनसे यह विदित होता है कि प्राचीन काल में भी मछली पालन होता था तथा मछली को आदिकाल से पौष्टिक आहार व मनोरंजन का उत्तम साधन माना गया है। मनुष्य के भोजन व देश की आर्थिकता में मछली की महत्वपूर्ण भूमिका को अनुभव करते हुए वर्ष 1926 “रायल कमीशन आन एग्रीकल्चर” ने मत्स्य की संसाधनों के विकास पर विशेष बल दिया तथा प्रदेशों में मत्स्य विभाग की स्थापना के लिए अपना मत रखा। वैज्ञानिकों द्वारा उत्तर प्रदेश व बिहार में 111 मत्स्य प्रजातियों की उपलब्धता बतायी गयी है।
● बड़हिया टाल में कुल पोखरों की संख्या 8 है।
1. बड़हिया पोखर
2. निमिया तालाब
3. दरौक
4. नवोदय विद्यालय के पीछे
5. नवोदय के बगल मे
6. शेरनियां
7. रकसपुर
8. रकसपुर
● बड़हिया के रहने वाले अमित कुमार और पंकज कुमार बताते है की रकसपुर में उन दोनों का दो पोखर है एक 4 बीघा का और दूसरा 7 बीघा का जिसमें 7 बीघे वाले पोखर की लम्बाई 110 फीट और चौराई 2200 फीट है। जिसे हमने 6 फीट निचे तक खोदा है और ऊपर से 5 फीट मिटटी का घेराव किया है।
● मत्स्य पालन में पोखर में हमेशा जल का स्तर 5 फीट होना चाहिए। इसे बनायें रखने के लिए बोरवेल या उचित माध्यम से हर 2-3 दिनों में जल के स्तर को देखते हुए बनाये रखें।
● उन्होंने बताया मछलियों को 2 समय सुबह और शाम को उनका भोजन/चारा देना पड़ता है।
● 50 ग्राम के बीज में मछलियाँ 7 महिने बाद 1 किलोग्राम की हो जाती है।
● बड़हिया टाल में उपयोग की जाने वाली मछलियों की प्रजाति निम्न है।
1. रोहू
2. पतला
3. नैनी
4. ग्रास्कार्प
5. सिल्वर (बिगहेड)
6 पंगेसिअस इत्यादि है।
● बड़हिया टाल के लोगों ने बताया और हमने समझा भी सच में यह एक नई अच्छी और सफल खेती की शुरुआत है। हमें बड़हिया में इस नई मत्स्य पालन के खेती को देखते हुए अपने गाँव बड़हिया के लाल और भारतीय जनता पार्टी के तेजस्विनी नेता सह बिहार के पशु एवम मत्स्य संसाधन मंत्री श्री गिरिराज सिंह की बातें याद आ गयी जो उन्होंने बड़हिया में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था। “कोई बड़ी बात नहीं की आने वाले दिन में आंध्र प्रदेश की भूमिका इस बड़हिया नगरी से बिहार में निभाई जाएगी।”
● बड़हिया टाल के लिए यह सर्वोत्तम खेती है हमें ख़ुशी है की बड़हिया में इस नयी खेती की शुरुआत की गयी है जिसे लोग देख कर दुसरे गांवों में भी इस खेती की शुरुआत कर रहे है और इस खेती में जमीन भी कम लगती है और रकवा/पैदावार अच्छा है इस तरह से हमारे गरीब किसान भाइयों को एक अच्छा विकल्प मिला है।
● हम बड़हिया में इस नए खेती को देखते हुए ह्रदय से धन्यवाद देना चाहेंगे हम लोगों के अभिभावक और बिहार के पशु एवम मत्स्य संसाधन मंत्री माननीय श्री गिरिराज सिंह जी को जो उन्होंने बड़हिया टाल को एक नयी दिशा देने का काम किया है. इसके लिए उन्हें बहुत बहुत धन्यवाद।
●●मत्स्य विभाग के प्रमुख उद्देश्य :-
उपलब्ध जल संसाधनों का मत्स्य विकास हेतु उपयोग।
●मत्स्य उत्पादन में वृद्धि।
● रोजगार सृजन।
● उत्तम प्रोटीनयुक्त पौष्टिक आहार की उपलब्धता।
● मछुआ कल्याणकारी कार्यक्रमों का संचालन।
● रणनीति
● क्षैतिज विस्तार (हॉरिजान्टल एक्स्पेन्शन)
● बंधे पानी के रूप में उपलब्ध समस्त जल श्रोतों व निचली भूमि का मत्स्य पालन कार्यक्रम के अन्तर्गत आच्छादन।
● उर्ध्वाधर विस्तार (वर्टिकल एक्सपेन्शन)
● सेमी इन्टेन्सिव व इटेन्सिव तकनीक जिसके अन्तर्गत तालाब की उचित प्रबन्ध व्यवस्था जैसे हाईडेंसिटी स्टाकिंग, एरेटर की स्थापना, उपयुक्त आहार की पूर्ति आदि से मत्स्य उत्पादकता स्तर में वृद्धि सुनिश्चित करना।